भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच एक बड़ा अपडेट सामने आया है। एलन मस्क की टेस्ला कंपनी फिलहाल भारत में मैन्युफैक्चरिंग नहीं करेगी, बल्कि केवल शोरूम खोलकर कारों की बिक्री पर फोकस करेगी। इस बात की पुष्टि केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने खुद की है। कुमारस्वामी ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि टेस्ला ने भारत सरकार की “इलेक्ट्रिक कार उत्पादन प्रोत्साहन योजना” में गहरी दिलचस्पी नहीं दिखाई है। कंपनी ने शुरुआती दौर की चर्चा में हिस्सा तो लिया था, लेकिन आगे की दो बैठकें छोड़ दीं। इससे साफ है कि फिलहाल टेस्ला का भारत में कार फैक्ट्री खोलने का इरादा नहीं है।
हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग न सही लेकिन टेस्ला भारत में एंट्री को लेकर काम कर रही है: मुंबई के BKC इलाके में शोरूम के लिए जगह फाइनल की गई है।
5 साल के लिए लीज, जिसमें कंपनी ₹32 लाख प्रतिमाह किराया देगी।
25 से ज्यादा लोगों की हायरिंग भी हो चुकी है। दिल्ली में भी शोरूम खोलने की योजना पर काम चल रहा है।
जहां टेस्ला पीछे हट रही है, वहीं मर्सिडीज-बेंज, हुंदै, किआ, स्कोडा-फॉक्सवैगन जैसी बड़ी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन के लिए उत्साहित हैं। सरकार की योजना के मुताबिक, जो कंपनियां भारत में उत्पादन करेंगी, उन्हें विशेष रियायतें दी जाएंगी।
सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक खास योजना तैयार की है: 8,000 इलेक्ट्रिक कारें हर साल सिर्फ 15% टैक्स पर आयात करने की इजाज़त। आमतौर पर ये टैक्स 70% होता है। 3 साल में कम से कम ₹4,150 करोड़ का निवेश अनिवार्य। 5 साल में वाहनों के 50% पार्ट्स भारत में मैन्युफैक्चर करना ज़रूरी। इस मुद्दे पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करके अमेरिकी टैक्स से बचती है, तो यह अमेरिका के साथ “अनुचित व्यवहार” होगा। टेस्ला के भारत में शोरूम खोलने से जहां प्रीमियम EV खरीदने वालों को सुविधा मिलेगी, वहीं यह भी साफ हो गया कि कंपनी अभी भारत में निर्माण की दिशा में गंभीर नहीं है। सरकार की कोशिश है कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ मेक इन इंडिया को भी ताकत मिले।

