नेपाल में पिछले दिनों से जारी हिंसक Gen-Z विरोध प्रदर्शनों के बाद कानून-व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई है। इन प्रदर्शनों के दौरान कई स्थानों पर लूट, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। हालात को संभालने के लिए नेपाली सेना ने कमान संभालते हुए देशभर में कर्फ्यू लागू कर दिया है और सार्वजनिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल ने जनता और प्रदर्शनकारियों को वीडियो संदेश के ज़रिए संबोधित करते हुए सबसे पहले शांति की अपील की और कहा, “मौजूदा कठिन हालात में राष्ट्रीय धरोहरों, नागरिक और निजी संपत्तियों की रक्षा, तथा देश की सुरक्षा और अखंडता हमारा साझा कर्तव्य है।” सेना ने खास तौर पर उन प्रदर्शनकारियों से अपील की है जिन्होंने अफरातफरी के दौरान पुलिस या सेना के हथियार लूट लिए थे, वे तत्काल बिना शर्त हथियार लौटा दें, नहीं तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा एजेंसियों ने रात 10 बजे से काठमांडू सहित अन्य बड़े शहरों में सख्त गश्त शुरू कर दी है। अब तक लूट या हिंसा में शामिल 26 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और सभी को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। सेना ने यह भी कहा कि आगे कानून हाथ में लेने की किसी भी कोशिश पर तुरंत बल प्रयोग किया जाएगा।
इन हिंसक प्रदर्शनों के दौरान संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, नेताओं के घर, सरकारी और निजी संपत्तियों सहित कई सांस्कृतिक स्थलों को नुकसान पहुंचा है। काठमांडू में कल रात सेना ने एक बैंक लुटेरे को भी रंगे हाथों पकड़ा, जबकि त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पूरी तरह सेना के नियंत्रण में है और सभी उड़ानें बंद कर दी गई हैं।
प्रदर्शन के पीछे मुख्य कारण भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया बैन रहा। सरकार ने फिलहाल सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस ले लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारियों की कई दूसरी मांगें अभी भी लंबित हैं। सेना और राष्ट्रपति दोनों की ओर से बार-बार अपील की जा रही है कि संकट को संवाद व संवैधानिक ढंग से सुलझाया जाए, और हिंसा न बढ़े।
नेपाल में सेना की सक्रिय भूमिका, कर्फ्यू और कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच स्थिति धीरे-धीरे सामान्य करने की कोशिश जारी है, लेकिन अभी भी अस्थिरता और अनिश्चितता का माहौल कायम है।

