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जुमे के बाद बवाल: मौलाना तौकीर के बुलावे पर हजारों जमा, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा

यह प्रदर्शन स्थानीय धार्मिक नेता मौलाना तौकीर रजा खान के कहने के बाद हुआ। उन्होंने पिछले दिनों पोस्टर मामले में हुई कार्यवाही का विरोध करते हुए सार्वजनिक विरोध की बात कही थी, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग जुमे के नमाज बाद संगठित होकर सड़कों पर आ गए। पुलिस पहले से सतर्क थी, लेकिन नमाज खत्म होते ही स्थिति अचानक बिगड़ गई।

पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि भीड़ ने बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की और कई जगहों पर कानून-व्यवस्था को भंग करने की कोशिश दिखी। अधिकारियों ने कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन जब प्रदर्शनकारी आगे बढ़े तो ज़रूरी बल का प्रयोग किया गया। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया गया है और मामले की प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।

इस घटना के बाद इलाके में तनाव बड़ गया है सुरक्षा बड़ा दी गयी है । कुछ नाकों पर चेकपोस्ट लगाए गए हैं और पुलिस नागरिकों से शांति बरतने की अपील कर रही है ताकि हालात जल्द सामान्य हो सकें।

‘आई लव मोहम्मद’ विवाद की जड़ कानपुर में हुई घटना से मानी जा रही है, जहां एक जुलूस के दौरान पोस्टर को लेकर विवाद शुरुआत हुआ था। इसके बाद यह मामला तेज़ी से कई अन्य शहरों तक फैल गया — आगरा, वाराणसी, लखनऊ, मेरठ, सीतापुर और प्रयागराज में भी इसी तरह के प्रदर्शन और तनाव की खबरें आईं।

मौलाना तौकीर रजा खान, जो इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के प्रमुख माने जाते हैं, पहले भी विवादों में रहे हैं। उन पर 2010 के बरेली दंगों से जुड़ा एक मामला दर्ज है जो अब भी अदालत में लंबित है। इसके अलावा उनका नाम कई बार असहिष्णु बयान और बड़े स्तर पर प्रदर्शन बुलाने के सिलसिले में उभरा है। इन घटनाओं के चलते उनकी पहचान अक्सर सुर्खियों में रहती है।

पहले भी वे धार्मिक-सामाजिक मसलों पर मुखर रहे हैं — ज्ञानवापी प्रकरण के बाद जेल भरो आंदोलन और हल्द्वानी के अतिक्रमण मामले पर दिए गए तीखे बयानों के कारण उनका नाम चर्चा में आया था। आलोचक उन्हें अक्सर भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल करने वाला नेताओं में गिनते हैं, वहीं उनके समर्थक उन्हें समुदाय का आवाज़ बताते हैं।

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पहलूओं की निष्पक्ष जांच की जा रही है। पुलिस घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की पड़ताल कर रही है ताकि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान हो सके और विधिक कार्रवाई की जा सके।

घटना को लेकर अब राजनीतिक व सामाजिक वर्गों में भी चर्चाएँ तेज हो गई हैं। नागरिक समूह, धर्मगुरु और प्रशासन के बीच शांति बहाल करने के लिए बातचीत की जरूरत पर ज़ोर दिया जा रहा है ताकि आगे कोई बड़ा सुरक्षा खतरा न पैदा हो।

फिलहाल बरेली में स्थिति अभी नियंत्रण में लौटाने की कोशिशें चल रही हैं, पर इलाके में शांति तब तक पूरी तरह वापस नहीं मानी जाएगी जब तक गिरफ्तार लोगों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती और प्रशासन तनाव के कारणों का सफलतापूर्वक निपटारा नहीं कर देता।

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