दिल्ली-NCR के पटाखा कारोबार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नया रास्ता अपनाया है। कोर्ट ने माना है कि कम प्रदूषण करने वाले यानी ‘ग्रीन’ पटाखों का निर्माण कुछ शर्तों पर संभव है, लेकिन उनकी बिक्री पर फिलहाल रोक बनी रहेगी। अदालत ने केंद्रसरकार को कहा है कि वह सभी पक्षों से मिलकर एक व्यवहारिक रास्ता निकाले।
सर्वोच्च अदालत की बेंच ने यह भी निर्देश दिए कि जिन निर्माताओं के पास PESO और NEERI से प्रमाणित ग्रीन पटाखे हैं, उन्हें उत्पादन की अनुमति दी जा सकती है। साथ ही यह शर्त रखी गई है कि निर्माता लिखित रूप से मानेंगे कि वे निषिद्ध क्षेत्रों में इन पटाखों की बिक्री नहीं करेंगे।
कोर्ट ने यह बात भी नोट की कि पहले पूरी तरह से रोक के बावजूद उस पर सख्ती से अमल नहीं हो पाया था और अवैध गतिविधियाँ चलती रहीं। इसलिए इस बार एक संतुलित और लागू होने योग्य नीति की जरूरत बताई गई। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि वह सभी हितधारकों — उत्पादन, पर्यावरण और सुरक्षा मंत्रालय, राज्यों और स्थानीय निकायों — से मिलकर समाधान लेकर आए। अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को है।
यह मामला तब फिर से गरमाया जब सीएक्यूएम और NEERI ने ग्रीन पटाखों के फार्मूले और मानकों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। NEERI ने बताया कि कुछ संशोधित सामग्रियों और प्रक्रियाओं से पटाखे कम प्रदूषण फैलाएंगे। PESO ने उन उत्पादकों को लाइसेंस दिए थे जो इन मानकों पर खरे उतरे थे, लेकिन बाद में देखा गया कि क्यूआर कोड जैसी सुरक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग भी हुआ।
पटाखा ट्रेडर्स की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया था कि कई कारोबारियों के पास पहले से वैध लाइसेंस थे और उनका व्यापार अचानक प्रतिबंध के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ। इन याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि ग्रीन पटाखों के उत्पादन और बाद में बिक्री के लिए साफ-सुथरे नियम बनाए जाएँ, ताकि कारोबार और वायु गुणवत्ता दोनों का ध्यान रखा जा सके।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण की अनुमति दी है, पर यह स्पष्ट किया गया है कि कोर्ट की मंजूरी के बिना निर्मित पटाखों को बेचने की इजाज़त नहीं होगी। यह स्टेप इसलिए है ताकि बाजार में बिना मानक के पटाखों का फैलाव रोका जा सके और हवा-प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।
सरकार और राज्य प्रशासन को भी निर्देश मिले हैं कि वे अवैध निर्माण, स्टोरेज और क्यूआर कोड के दुरुपयोग पर कड़ी निगरानी रखें। अदालत ने कहा कि जिनके लाइसेंस नियमों का उल्लंघन करेंगे, उनके लाइसेंस रद्द किए जाएँ। अदालत ने 10 दिन में ब्यौरा मंगाने की प्रक्रिया को स्वीकार किया और अगली तारीख 8 अक्टूबर तय की।
निष्कर्ष यह है कि दिल्ली-NCR में छोटी राहत मिल सकती है — निर्माण सीमित शर्तों पर चलेगा — पर बिक्री और खुला बाज़ार तभी खुलेंगे जब अदालत और संबंधित सरकारी निकाय मिलकर ठोस नियम तय कर दें। आम जनता के लिए असर यह होगा कि पटाखा उद्योग को कुछ समय का मौका मिल सकता है, लेकिन वायु गुणवत्ता और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य रहेगा।

