“बर्बाद रनवे, जले हैंगर और पाकिस्तान की ‘जीत’!”: UN में भारत ने शहबाज शरीफ के दावों की उड़ाई धज्जियां
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर कड़ी जुबानी जंग देखने को मिली, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कश्मीर, सिंधु जल संधि और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर झूठे, भड़काऊ बयान दिए. भारत ने दृढ़ता और तर्क के साथ जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र मंच को पाकिस्तान की ‘विजय’ वाली नौटंकी और आतंकवाद को समर्थन देने की उसकी असलियत दिखा दी.
भारत की स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने राइट ऑफ रिप्लाई के तहत कहा, “अगर बर्बाद रनवे और जले हैंगर जीत जैसे लगते हैं, तो पाकिस्तान इसका आनंद ले सकता है.” उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान अपने “ड्रामे या झूठ” से सच्चाई को नहीं छुपा सकता. गहलोत ने शहबाज के दावों पर त्वरित पलटवार करते हुए भारत की आतंकवाद के खिलाफ लगातार लड़ाई का ज़िक्र किया और पाकिस्तान को “आतंकवाद का निर्यातक” बताया.
शहबाज शरीफ ने कश्मीर में कथित भारतीय ‘अत्याचार’, सिंधु जल संधि के निलंबन, और मई 2025 के सैन्य संघर्ष को अपनी ‘कूटनीतिक जीत’ बताया. उन्होंने इंडस वॉटर ट्रीटी पर भारत के फैसले को गैरकानूनी कहकर युद्ध की धमकी दी. जवाब में भारत ने स्पष्ट किया कि आतंकवादी हमलों के चलते ही भारत ने संधि को स्थगित किया और पाकिस्तान बार-बार आतंकवादियों को संरक्षण देता है.
गहलोत ने शहबाज शरीफ के समर्थन अफगानिस्तान के समूहों और ओसामा बिन लादेन को छुपाने जैसे इतिहास का हवाला दिया और कहा, “शहबाज साहब, आतंकियों को हीरो बताने से सच्चाई बदल नहीं जाती”.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को ‘जंगी जीत’ की तरह पेश किया, लेकिन भारत ने यूएन में बताया कि संघर्ष विराम की अपील खुद पाकिस्तान ने की थी और ट्रंप या किसी भी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी. भारत ने पायलटों की बहादुरी तो सराही, लेकिन साफ कहा कि पाकिस्तान ‘जले रनवे’ अपनी जीत मानकर खुश हो सकता है, जबकि सच सामने है.
बार-बार पाकिस्तानी PM द्वारा कश्मीर मुद्दा उठाना अंतरराष्ट्रीय मंच पर झूठ और सनसनी फैलाने की रणनीति है.
पाकिस्तान आतंक का समर्थन कर अपनी विदेश नीति चला रहा है और बेचैन होकर युद्ध या पानी रोकने की धमकियां देता है.
भारत की महिला अधिकारी ने आतंकियों को पनाह देने, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने और खुद UN प्रतिबंधित संगठनों की पैरवी करने पर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया.

