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भारत रूस से तेल खरीदेगा या नहीं? विदेश मंत्रालय का आ गया जवाब, ट्रंप के दावों की फिर खुली पोल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर गुरुवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने सख्त प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने एक बयान में कहा था कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा और अमेरिकी दबाव के बाद नई दिल्ली ने मॉस्को से अपनी ऊर्जा निर्भरता कम करने का फैसला किया है। हालांकि मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर झा ने इन दावों को “भ्रम फैलाने वाला और तथ्यों से परे” बताया।

प्रवक्ता ने बताया कि भारत की ऊर्जा नीति हमेशा से “राष्ट्रीय हित और ऊर्जा सुरक्षा” के सिद्धांत पर आधारित रही है और भविष्य में भी यह नीति जारी रहेगी। उन्होंने कहा, “भारत किसी भी बाहरी दबाव में निर्णय नहीं लेता। हमारी प्राथमिकता सस्ते और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोतों तक पहुंच सुनिश्चित करना है। रूस भी हमारे प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है और रहेगा।”

झा ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत को अपनी बढ़ती आबादी और आर्थिक जरूरतों के अनुरूप विविध आपूर्ति चैनल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां “जहां से भी किफायती और स्थिर सप्लाई मिलेगी, वहां से खरीदेंगी।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा था कि भारत ने उनके आग्रह पर रूस से तेल खरीद बंद करने का वादा किया है और अब वह “ज्यादा पारदर्शी वैश्विक ऊर्जा व्यवस्था” का हिस्सा बनेगा। उनके इस बयान के बाद भारतीय राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में हलचल मच गई थी।

मॉस्को में रूस के उप विदेश मंत्री ने कहा कि भारत “विश्वसनीय और दीर्घकालिक साझेदार” है और ऊर्जा व्यापार दोनों देशों के बीच सहयोग की रीढ़ बना रहेगा। रूस ने यह भी जोड़ा कि वह भारत को तेल की आपूर्ति पर किसी तरह की कटौती नहीं कर रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह दावा घरेलू राजनीतिक संदर्भ में दिया गया बयान था ताकि अमेरिका की ऊर्जा रणनीति को मजबूती मिले। लेकिन भारत की स्थिति स्पष्ट है — देश अपनी ऊर्जा सुरक्षा को किसी एक देश या गुट पर निर्भर नहीं करेगा।

विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया है कि भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा और अपनी स्वतंत्र नीति जारी रखेगा। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप का दावा वास्तविकता से मेल नहीं खाता और भारत‑रूस संबंध ऊर्जा क्षेत्र में पहले की तरह मजबूत बने रहेंगे।

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