सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई पर जूता फेंकने वाले वकील राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की तैयारी हो रही है। गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने इस मामले को रखा गया, जिसमें अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने इस कार्यवाही की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने इसे दिवाली की छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए स्थगित किया है।
यह मामला तब सामने आया जब राकेश किशोर ने 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के कक्ष में जज गवई की ओर जूता उछालने का प्रयास किया था। इस घटना ने पूरे देश में चर्चा पैदा कर दी थी। उन्होंने ‘सनातन का अपमान नहीं सहेंगे’ नारे भी लगाए थे।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने राकेश किशोर की सदस्यता समाप्त कर दी है, जिसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इससे पहले भी बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उन्हें निलंबित किया था।
एक याचिका में कहा गया है कि राकेश किशोर द्वारा सीजेआई के डाइस पर जूता फेंकना और अदालत कक्ष में नारे लगाना न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कार्य है। इसके अलावा आरोपी ने मीडिया में भी मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। याचिकाकर्ता वकील सुभाष चंद्रन केआर ने अटॉर्नी जनरल से 1971 के अवमानना अधिनियम की धारा 15 के तहत अनुमति मांगी थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है।
इस घटना के बाद अदालत परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। राकेश किशोर के खिलाफ कर्नाटक के बेंगलुरु में भी एफआईआर दर्ज की गई है। 71 वर्षीय इस वकील ने कहा था कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है और उन्होंने कहा था कि उन्हें एक दैवीय शक्ति ने ऐसा करने को कहा था।
इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट दिवाली के बाद सुनवाई करेगा, जबकि पूरे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा और गरिमा पर चर्चा तेज है। राकेश किशोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो रही है, जिससे यह संदेश जाता है कि न्याय प्रणाली की अवमानना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

