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महागठबंधन में बढ़ी खींचतान: सीट बंटवारे पर भड़के मुकेश सहनी, कहा—“हमारी पार्टी को हाशिए पर नहीं धकेला जा सकता”

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-विकासशील इंसान पार्टी सहित) के अंदर गहरी नाराज़गी उभर आई है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने खुले तौर पर अपनी नाराज़गी जाहिर की है। सहनी का कहना है कि सीटों के आवंटन में उनकी पार्टी के साथ “अन्यायपूर्ण रवैया” अपनाया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, मुकेश सहनी उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं जो उनके परंपरागत मतदाताओं वाले इलाकों में आती हैं—जैसे मधुबनी, सहरसा, मुजफ्फरपुर, बेतिया और दरभंगा। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, इन विधानसभा क्षेत्रों में राजद और कांग्रेस अपने-अपने प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी हैं। यही वजह है कि सहनी गुट अब खुलकर असंतोष जता रहा है।

पटना में प्रेस वार्ता के दौरान मुकेश सहनी ने कहा, “हमने गठबंधन के धर्म का हमेशा पालन किया, पर अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो हमें अपने रास्ते पर चलने से कोई नहीं रोक सकता। VIP अब किसी की उपेक्षा सहने को तैयार नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की राजनीति में मछुआरा समाज की आबादी और प्रभाव को नज़रअंदाज़ करना गठबंधन के लिए “रणनीतिक भूल” साबित हो सकती है।

राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि सहनी इस बार कम से कम 20 से 25 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि राजद उन्हें 8 से 10 सीटों पर ही समझौता करने का प्रस्ताव दे रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस भी अपने परंपरागत सीटों से पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही, जिससे महागठबंधन में समन्वय मुश्किल हो गया है।

राजद प्रवक्ता चंद्रिका राय ने बयान जारी कर कहा, “गठबंधन में सभी दलों की भूमिका तय है। जहां तक सीटों की बात है, हर निर्णय साझा सहमति से होगा। किसी को नाराज़ होने की जरूरत नहीं है।” हालांकि अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि बातचीत के कई दौर के बावजूद सहनी और राजद नेताओं में सहमति नहीं बन पाई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर मुकेश सहनी अलग रुख अपनाते हैं, तो इसका सीधा असर महागठबंधन की सियासी गणित पर पड़ेगा, विशेष रूप से उत्तर बिहार और सीमांचल क्षेत्रों में, जहां उनकी पार्टी का वोटबैंक प्रभावी माना जाता है।

सहनी समर्थकों ने बुधवार को पटना में विरोध प्रदर्शन भी किया और “VIP की अनदेखी नहीं चलेगी” के नारे लगाए। पार्टी में आंतरिक बैठक बुलाकर उन्होंने कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरती, तो वह स्वतंत्र उम्मीदवार देने या किसी नए गठबंधन विकल्प पर विचार कर सकते हैं।

इस बीच भाजपा कैंप में भी इस तनातनी पर नजर है। पार्टी सूत्रों ने कहा है कि “महागठबंधन की सीट खींचतान से जनता उनके चेहरों का असली रूप देख रही है,” वहीं एनडीए ने इसे विपक्षी अस्थिरता का उदाहरण बताया है।

राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ने के बीच अब सबकी नजर इस पर है कि क्या राजद और कांग्रेस मुकेश सहनी को मनाने में सफल होंगे या महागठबंधन एक बार फिर आंतरिक फूट का शिकार बन जाएगा।

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