दक्षिण कोरिया के बुसान में आयोजित एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग यानी APEC (Asia-Pacific Economic Cooperation) सम्मेलन में अमेरिका और चीन के राष्ट्रपति की मुलाकात ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। यह डोनाल्ड ट्रंप के व्हाइट हाउस लौटने के बाद दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात थी। लंबे समय से दोनों देशों के बीच चल रहे आर्थिक तनाव और व्यापार विवाद के बीच यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही थी। मुलाकात के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच घंटों बातचीत हुई और कई पुराने मुद्दों पर सकारात्मक संकेत देखने को मिले।
बैठक के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और अमेरिका के आर्थिक रिश्ते दोनों देशों के संबंधों की नींव हैं और इन्हें मुकाबला या तनाव का कारण नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को समानता और आपसी सम्मान के साथ ऐसे रास्ते खोजने चाहिए जो दोनों के लिए लाभदायक हों। शी जिनपिंग ने यह भी कहा कि हमारी अवस्था अलग हैं, इसलिए हर मुद्दे पर विचारों का मेल जरूरी नहीं है। लेकिन यह भी उतना ही जरूरी है कि मतभेदों के बावजूद बातचीत और सहयोग की राह बंद न हो। उन्होंने कहा कि हमें यह यकीन करना होगा कि चीन-अमेरिका संबंधों का बड़ा जहाज मजबूती और भरोसे के साथ आगे बढ़े।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुलाकात को बेहद सफल बताया और इसे “12 में से 10 नंबर” देने लायक बताया। उन्होंने कहा कि यह बैठक सिर्फ एक बातचीत नहीं थी, बल्कि एक नए व्यापारिक युग की शुरुआत है। ट्रंप ने घोषणा की कि वे अप्रैल 2026 में चीन की यात्रा करेंगे ताकि आगे की बातचीत को गति दी जा सके। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अमेरिका अब चीनी सामान पर लगने वाले टैरिफ को 57% से घटाकर 47% करेगा, जबकि फेंटानिल से जुड़े चीनी आयात पर शुल्क 20% से घटाकर 10% कर दिया जाएगा। ट्रंप के इस कदम को दोनों देशों के बीच बढ़ते भरोसे का संकेत माना जा रहा है।
बैठक में दोनों नेताओं के बीच कई अहम विषयों पर चर्चा हुई — जिनमें ट्रेड वॉर, टैरिफ, रेयर अर्थ मिनरल्स का निर्यात और अमेरिकी सोयाबीन की चीन को आपूर्ति जैसे मुद्दे शामिल थे। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि आर्थिक टकराव से किसी का भला नहीं होगा और अब सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने का समय है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रिश्तों को नई दिशा दे सकती है। जहां एक ओर ट्रंप ने समझौते के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया है, वहीं शी जिनपिंग ने भी बातचीत को नए स्तर पर ले जाने की इच्छा जताई है। यह मुलाकात आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल सकती है, क्योंकि जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं एक मंच पर आती हैं, तो उसके प्रभाव दूर तक महसूस होते हैं।

