सोमवार तड़के दिल्ली-एनसीआर भूकंप के झटकों से दहल उठा। आधी रात के करीब लोग अचानक घरों से बाहर निकल आए जब उन्होंने अपने घरों की दीवारें, पंखे और फर्नीचर हिलते हुए महसूस किए। राष्ट्रीय भूकंप केंद्र (एनसीएस) के अनुसार, यह झटके अफगानिस्तान में आए 6.3 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के कारण महसूस किए गए। यह भूकंप भारतीय समयानुसार रात करीब 2 बजे उत्तरी अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ और खुल्म कस्बे के पास आया। इस झटके का असर भारत, पाकिस्तान और कई पड़ोसी देशों में महसूस किया गया। हालांकि दिल्ली-एनसीआर में किसी तरह के नुकसान या जनहानि की खबर नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर वैसे भी देश के सबसे अधिक भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में से एक माना जाता है। यह क्षेत्र भूकंपीय जोन-IV में आता है, जहां हल्के झटके भी लोगों में डर का माहौल पैदा कर देते हैं। घनी आबादी, ऊंची इमारतें और पुरानी संरचनाएं यहां के लिए अतिरिक्त खतरा बनती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही इस बार भूकंप का केंद्र दिल्ली से दूर था, लेकिन भविष्य में राजधानी को तैयार रहना होगा क्योंकि यहां की संरचनात्मक कमजोरियां हल्के झटकों को भी खतरनाक बना सकती हैं।
इससे पहले भी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में इस साल कई बार हल्के झटके महसूस किए जा चुके हैं। जुलाई में झज्जर इलाके में एक के बाद एक दो भूकंप दर्ज किए गए थे। पहला भूकंप शाम 7:49 बजे 3.7 तीव्रता का था, जबकि कुछ ही घंटों बाद दूसरा झटका 4.4 तीव्रता का महसूस किया गया था। उस वक्त भी लोगों में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था, हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई थी।
अफगानिस्तान में आए इस ताजा भूकंप ने एक बार फिर वहां के लोगों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक, भूकंप का केंद्र 28 किलोमीटर की गहराई में था और इसकी तीव्रता इतनी अधिक थी कि यह सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस किया गया। यूएसजीएस मॉडल का अनुमान है कि इससे भारी जनहानि हो सकती है, हालांकि आधिकारिक आंकड़े अभी तक सामने नहीं आए हैं।
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि देश के कई प्रांतों में रात करीब 1 बजे तेज झटके महसूस किए गए। तालिबान प्रशासन पहले भी कई विनाशकारी भूकंपों का सामना कर चुका है। 2023 में पश्चिमी हेरात क्षेत्र में आए भूकंप में 1,500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हजारों घर तबाह हो गए थे। विशेषज्ञों के अनुसार, अफगानिस्तान और उसके आसपास के पर्वतीय क्षेत्र लगातार भूकंपीय गतिविधियों वाले इलाकों में आते हैं, जिससे यहां इस तरह के झटके आम हैं।
फिलहाल दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में प्रशासन ने सतर्कता बरतने की अपील की है। भले ही इस बार किसी नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि भविष्य में आने वाले भूकंपों से निपटने के लिए इमारतों और ढांचागत सुरक्षा पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है।

