उत्तर प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ़ सिरप की पकड़ से जुड़े मामले ने अब अंतरराष्ट्रीय रैकेट का रूप ले लिया है। अक्तूबर में सोनभद्र पुलिस द्वारा पकड़े गए एक ट्रक ने इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में अहम भूमिका निभाई। यह कार्रवाई उस समय हुई जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में कोडीनयुक्त कफ़ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत के बाद कई राज्यों में जांच तेज कर दी गई थी।
18 अक्तूबर को सोनभद्र पुलिस ने जिस ट्रक को रोका, उसमें ऊपर से चिप्स और नमकीन के पैकेट लादे गए थे, लेकिन नीचे कोडीनयुक्त कफ़ सिरप की बड़ी खेप छिपाई गई थी। इस पकड़ के बाद पुलिस को शक हुआ कि प्रदेश में बड़े स्तर पर नशे के लिए इस्तेमाल होने वाले कफ़ सिरप की सप्लाई चल रही है।
इसी जांच को आगे बढ़ाते हुए 4 नवंबर को सोनभद्र पुलिस और गाज़ियाबाद पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाया। इस दौरान गाज़ियाबाद के मछली गोदाम परिसर से डेढ़ लाख शीशियां कफ़ सिरप की बरामद की गईं। इतनी बड़ी मात्रा ने साफ कर दिया कि यह मामला सिर्फ स्थानीय स्तर की तस्करी नहीं, बल्कि संगठित और बड़े नेटवर्क से जुड़ा है।
उत्तर प्रदेश में अब तक इस मामले में 128 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं और 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें वे लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं जो विभिन्न राज्यों से अवैध रूप से कोडीनयुक्त कफ़ सिरप की खरीद–फरोख्त और सप्लाई कर रहे थे। जांच से यह भी संकेत मिले हैं कि इस रैकेट की जड़ें अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैली हो सकती हैं।
गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए आईजी के नेतृत्व में विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है। SIT का काम है कि सप्लाई चेन, वित्तीय लेन-देन, और इससे जुड़े मुख्य नेटवर्क की पहचान कर पूरे गिरोह को खत्म किया जाए।
राजस्थान–मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद से यह मामला और संवेदनशील हो गया है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि घातक कोडीनयुक्त सिरप किन रूटों से होकर राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था और इसमें कौन-कौन से बड़े खिलाड़ी शामिल हैं।
इस एक ट्रक की पकड़ ने न केवल उत्तर प्रदेश में चल रहे नशा तस्करी नेटवर्क की परतें खोलीं, बल्कि पूरे देश में ऐसे अवैध कारोबार से जुड़े बड़े रैकेट पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

