हस्ताक्षर, जिन्हें सिगनेचर भी कहा जाता है, हर किसी द्वारा अलग-अलग तरीके से बनाए जाते हैं। इसके पीछे भावना यह है कि यह इतना अनोखा है कि इसे अलग से देखा जा सकता है और आसानी से इसकी नकल नहीं की जा सकती। कुछ लोगों के हस्ताक्षर अस्पष्ट हैं तो कुछ लोग अपना नाम ही एक अलग स्टाइल में लिख कर दे रहे हैं। जो व्यक्ति हस्ताक्षर के पहले अक्षर को बड़े अक्षरों में लिखता है, वह अपने कुल का नाम रोशन करता है। ऐसे लोग असाधारण प्रतिभा के धनी होते हैं और अपने समाज में काफी लोकप्रिय भी होते हैं। इन्हें समाज में अपनी छवि की हमेशा चिंता रहती है। यह हर किसी पर शक्ति थोपने की कोशिश करता है और यह भावना बहुत मजबूत है।
ऊपर की तरफ चढ़ते हुए
कुछ लोगों की लिखावट के अक्षर ऊपर की ओर उन्मुख होते हैं, ऐसे लोग आशावादी, प्रगतिशील और अधोमुखी होते हैं। ऐसे लोग निराशावादी और बेचैन होते हैं। सीधी और स्पष्ट लिखावट से पता चलता है कि व्यक्ति मिलनसार है, लोगों से मिलना-जुलना पसंद करता है। जो व्यक्ति अपनी सामान्य लिखावट से बड़ी और अलग लिखावट लिखता है उसे अहंकारी और आत्म-प्रशंसक माना जाता है
पहला अक्षर ऊपर की ओर में और बाकी अक्षर नीचे की ओर लिखने वाले
जो लोग अपनी लिखावट में पहला अक्षर बड़ा और बाकी छोटा लिखते हैं वे खुद को हमेशा बेहतर देखना चाहते हैं और बड़े दिल वाले होते हैं। कहीं भी चर्चा में सबको अपनी बात कहने का अवसर मिलता है। ऐसे लोग राजनीति के क्षेत्र में विशेष रूप से सफल होते हैं। यह सिद्धांत नाम का पहला अक्षर और अंतिम नाम का पहला अक्षर लिखने वाले समाज में प्रचलित है। जो लोग अपने गोत्र का पूरा नाम लिखते हैं वे अपने गोत्र से अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।