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अपने छोड़ गए, गैरों ने दिया सहारा, पुलिस पूछती है “अम्मा” कैसी हो

भोपाल – जिसका कोई नहीं उसका ऊपर वाला होता है इसकी मिसाल देखने को मिली भोपाल में बेबस घूम रही एक मां पर 2 महीने पहले कटारा हिल्स थाने के दो सिपाहियों की नजर पड़ी। पास जाकर पूछा तो कन्नड़ में जवाब मिला। सिपाही उस मां की भाषा तो नहीं समझ पाए, लेकिन भाव ज़हन तक उतर गए। जिस मां ने पूरी जिंदगी बच्चों की परवरिश में खपा दी, जब उसी को सहारे की जरूरत पड़ी तो बच्चों ने लावारिस छोड़ दिया। दोनों सिपाहियों ने उसे चाय के बंद पड़े एक टपरे में ठिकाना दिया और देखरेख शुरू की। अब थाने का हर स्टाफ दिन में एक बार तो पूछ ही लेता है कि अम्मा कैसी हो…

उम्र कोई 55 के आसपास बेसहारा घूमती महिला मिली सिपाही विवेक सिंह और सिंकू सिंह राणा को विवेक ने पूछा अम्मा कहां जा रही हो? जवाब कन्नड़ भाषा में आया। साथ में भूख लगने का इशारा भी था। सिपाहियों ने महिला को लहारपुर पुलिस चौकी के पास टपरे में बिठा दिया जो लॉकडाउन के कारण बंद है। पास की महिलाओं को बुलाकर बाल कटवाए, नहलवाया, कपड़े बदलवाए और खाना खिलाया। सोने के लिए एक तखत भी रखवाया। तभी से दोनों सिपाही रोज अनुसुईया(वह अपना नाम अनुसुईया बताती है) के लिए खाने का इंतजाम करते हैं। अनुसुईया के पास बच्चों का नंबर नहीं है। बस इतना बता पाती है कि यशवंतपुर, कर्नाटक में उसका घर है।

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