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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से पूरे देश में शोक की लहर फैल गई है। उनके जीवन में 26 तारीख का ऐसा अद्भुत संयोग है, जो उनके जन्म से लेकर मृत्यु तक बना रहा। डॉ. सिंह का जन्म 26 सितंबर को हुआ था और निधन भी 26 दिसंबर को हुआ। उनके निधन पर 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
पंजाब के गाह गांव में जन्म
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था। भारत विभाजन के समय उनका परिवार अमृतसर में आकर बस गया। आज गाह गांव पाकिस्तान में है। जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की थी, आज वह स्कूल “मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल” के नाम से जाना जाता है।
अमृतसर आने के बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की। 1952 में उन्होंने इकोनॉमिक्स में बैचलर की डिग्री प्राप्त की और 1954 में मास्टर्स पूरा किया।
कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड में शिक्षा
मास्टर्स के बाद डॉ. सिंह 1957 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। 1962 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डीफिल की डिग्री ली। इसके बाद उन्हें दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाने का अवसर मिला और वह वहां प्रोफेसर बन गए।
नौकरशाही का सफर
डॉ. सिंह को जल्द ही कॉमर्स मिनिस्ट्री में एडवाइजर के रूप में काम करने का मौका मिला। यही से उनका ब्यूरोक्रेसी का सफर शुरू हुआ। बाद में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद वह भारत के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर और योजना आयोग के प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुए।
राजनीति में आगमन
1991 में चंद्रशेखर सरकार के गिरने के बाद डॉ. सिंह को यूजीसी का अध्यक्ष बनाया गया। जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह को चुना। उनकी नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।
दो बार प्रधानमंत्री बने
2004 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और डॉ. मनमोहन सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी। 2009 में वह दोबारा प्रधानमंत्री बने। पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद वह देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल पूरे किए।26 दिसंबर 2024 को उन्होंने अंतिम सांस ली, और उनके निधन से देश ने एक महान अर्थशास्त्री और नेता को खो दिया।