
दिल्ली प्रशासन ने noise pollution पर नियंत्रण के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। अब कोई भी आयोजन—चाहे वह धार्मिक हो या सामाजिक—में लाउडस्पीकर चलाने से पहले दिल्ली सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर अधिकतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसी तरह के नियम लागू किए थे। इस कदम का मुख्य उद्देश्य आवासीय इलाकों में शांति बनाए रखना और शोरगुल से प्रभावित लोगों को राहत देना है।
दिल्ली सरकार के नए दिशानिर्देशों की मुख्य बातें:
- धार्मिक स्थलों पर भी बिना अनुमति या तय सीमा से अधिक ध्वनि में लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।
- सार्वजनिक आयोजन, रैलियां और धार्मिक कार्यक्रमों में लाउडस्पीकर लगाने के लिए पहले पुलिस से इजाजत लेनी जरूरी होगी।
- बिना अनुमति लाउडस्पीकर बजाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
ध्वनि सीमा (Noise Limit) के दिशा-निर्देश:
- सार्वजनिक स्थलों पर आवाज सामान्य स्तर से 10 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए (अनुमति के बाद भी)।
- निजी परिसरों में यह सीमा सामान्य से 5 डेसिबल अधिक तक तय की गई है।
- औद्योगिक इलाकों में दिन में अधिकतम 75 डेसिबल और रात में 70 डेसिबल तक ध्वनि मान्य है।
- आवासीय क्षेत्रों में दिन में अधिकतम 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल तक ध्वनि की अनुमति है।
- शांत क्षेत्र, जैसे अस्पताल, स्कूल और कोर्ट के पास, दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल तक ही ध्वनि की इजाजत है।
उल्लंघन पर जुर्माना और कार्रवाई:
- बिना अनुमति या नियमों का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना और लाउडस्पीकर जब्त किया जा सकता है।
- जनरेटर के इस्तेमाल पर भी जुर्माना तय है:
- 1000 KVA से अधिक: ₹1,00,000
- 62.5 KVA – 1000 KVA: ₹25,000
- 62.5 KVA तक: ₹10,000
- शोर करने वाली मशीनों के मामले में ₹50,000 का जुर्माना और मशीन जब्त की जाएगी।
- पेट्रोलियम उत्पाद या पटाखे रात के समय जलाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
समारोहों के दौरान उल्लंघन पर अलग-अलग जुर्माना:
- आवासीय इलाकों में नियम तोड़ने पर ₹10,000 का जुर्माना।
- शांत क्षेत्रों में यह जुर्माना बढ़कर ₹20,000 तक हो सकता है।
पुलिस अधिकारियों ने साफ किया है कि इस पहल का उद्देश्य किसी धार्मिक या सामाजिक गतिविधि पर रोक लगाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि छात्रों, मरीजों, बुजुर्गों और अन्य संवेदनशील लोगों को बिना वजह की परेशानी न हो।