प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद सदियों से प्राकृतिक और समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए जानी जाती है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को प्राथमिकता देती है। आयुर्वेद की खास बात यह है कि इसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग कर बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों का उपचार किया जाता है। यही कारण है कि यह आज न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय हो चुका है।
डॉ. चंचल शर्मा, जो आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, बताती हैं कि आयुर्वेद का आधार तीन प्रमुख दोषों – वात, पित्त और कफ – के संतुलन पर टिका है। ये तीनों शरीर की मूलभूत ऊर्जा को दर्शाते हैं और इनका संतुलन बिगड़ने पर ही बीमारी उत्पन्न होती है। इसलिए स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए इनका संतुलन अत्यंत आवश्यक है।
आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने के उपाय
1. ध्यान और मानसिक शांति:
ध्यान शरीर और मन के बीच समरसता लाने का प्रभावी साधन है। यह तनाव को दूर करता है, सोच में स्पष्टता लाता है और आत्मिक विकास की दिशा में मार्ग प्रशस्त करता है। रोज़ाना कुछ समय ध्यान के लिए निकालना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।
2. दोषों के अनुसार आहार:
हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति अलग होती है, और आयुर्वेद इस बात पर ज़ोर देता है कि आहार उसी के अनुसार चुना जाए। इस तरह के आहार से पाचन बेहतर होता है, दोष संतुलित रहते हैं और शरीर ऊर्जा से भरपूर महसूस करता है।
3. पंचकर्म चिकित्सा:
पंचकर्म एक शुद्धिकरण प्रक्रिया है, जिसके ज़रिए शरीर में संचित विषैले तत्वों को बाहर निकाला जाता है। यह शरीर को रोगमुक्त बनाता है और प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया को तेज करता है।
4. नियमित दिनचर्या (दिनचार्य):
एक निर्धारित दिनचर्या न केवल आपकी नींद और पाचन को बेहतर बनाती है, बल्कि आपकी दैनिक कार्यक्षमता को भी बढ़ाती है। आयुर्वेद कहता है कि सूर्य के अनुसार जीवन चलाना शरीर के लिए सर्वोत्तम होता है।
5. तनाव नियंत्रण:
तेज रफ्तार जिंदगी में मानसिक तनाव आम हो गया है। आयुर्वेद कहता है कि जब मन असंतुलित होता है, तो शरीर भी बीमार होता है। योग, प्राणायाम, हर्बल चाय और नियमित ध्यान तनाव को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
6. गहरी और पूरी नींद:
नींद को आयुर्वेद जीवन के तीन स्तंभों में से एक मानता है। नींद के दौरान शरीर अपनी ऊर्जा को पुनः संचित करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। समय पर और पूरी नींद लेना स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है।
7. औषधीय जड़ी-बूटियों का प्रयोग:
आयुर्वेद में कई हर्बल औषधियों का वर्णन है, जो शरीर को अंदर से पोषण देती हैं। जैसे –
तुलसी (प्रतिरक्षा के लिए), अश्वगंधा (तनाव कम करने के लिए), हल्दी (सूजन और रोगों से लड़ने में), आंवला (विटामिन C का स्रोत), नीम, गुडुची, शतावरी आदि शरीर को संपूर्ण स्वास्थ्य देने में सहायक हैं।

