
दुमका के गोपाल मंदिर मोहल्ले के निवासी सौरव सिन्हा ने UPSC 2024 में 49वीं रैंक हासिल कर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे झारखंड का नाम रोशन कर दिया है। सौरव के पिता, प्रियव्रत सिन्हा, दुमका कोर्ट में बड़ा बाबू के पद पर कार्यरत हैं, जबकि उनकी मां विभा सिन्हा एक गृहिणी हैं। सौरव दो भाइयों में सबसे बड़े हैं और उनके छोटे भाई ऋषभ फिजिक्स ऑनर्स की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।
सौरव की शिक्षा और करियर की शुरुआत
सौरव की शुरुआती पढ़ाई दुमका के ग्रीन माउंट स्कूल से हुई, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे रांची गए और FITJEE से IIT की तैयारी शुरू की। वर्ष 2014 में उनका चयन IIT खड़गपुर में हुआ, जहां से उन्होंने 2019 में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। लेकिन उन्होंने कॉर्पोरेट करियर की बजाय शिक्षा को चुना और लखनऊ के कोचिंग संस्थानों में पढ़ाना शुरू किया।
यूपीएससी की कठिन राह
सौरव की यूपीएससी यात्रा चुनौतियों से भरी रही। पहले प्रयास में वे प्रारंभिक परीक्षा में ही असफल रहे। दूसरे और तीसरे प्रयास में मेन्स तक पहुंचे, लेकिन इंटरव्यू में चयन नहीं हो पाया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में पूरे देश में 49वां स्थान प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि निरंतर मेहनत और आत्मविश्वास से हर मुश्किल पार की जा सकती है।
बचपन से ही था लक्ष्य के प्रति समर्पण
सौरव के पिता बताते हैं कि वे शुरू से ही अपने निर्णय खुद लेते थे और लक्ष्य को लेकर पूरी तरह समर्पित थे। आर्थिक तंगी ने कई बार पढ़ाई में रुकावट डाली, लेकिन उनके स्कूल के मालिक करूण राय ने उनका भरपूर सहयोग किया। स्कूल फीस माफ कर, उन्होंने सौरव की पढ़ाई को रुकने नहीं दिया।
शिक्षक से अफसर बनने तक का सफर
जिस कोचिंग संस्थान से सौरव ने पढ़ाई की, वहीं वे बाद में पढ़ाने भी लगे। अपने खर्च खुद उठाने के लिए वे कोचिंग में पढ़ाते रहे और साथ ही UPSC की तैयारी करते रहे। सफलता मिलने के बाद सबसे पहले उन्होंने यह खुशखबरी अपने माता-पिता को दी।
आज दुमका में सौरव के घर पर बधाई देने वालों की कतार लगी है। उनकी मां भावुक होकर कहती हैं, “बेटे ने सिर्फ हमारा नहीं, पूरे राज्य का मान बढ़ाया है।” सौरव की यह उपलब्धि झारखंड ही नहीं, देशभर के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है कि छोटे शहरों से भी बड़ा सपना देखा और पूरा किया जा सकता है।