
भोपाल: मध्य प्रदेश से एक बड़ी खबर आई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दमोह अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है, जहां ‘फर्जी’ हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव सर्जरी कर रहा था। पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
दमोह के मिशनरी अस्पताल की कैथ लैब में हाल ही में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव, जिसे नरेंद्र जॉन केम के नाम से भी जाना जाता है, ने मरीजों का इलाज किया। इन मरीजों में से सात की मौत हो गई। इस मामले में आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया था, और कैथ लैब को सरकारी डॉक्टरों की पांच सदस्यीय टीम ने सील कर दिया था। इस घटनाक्रम के बाद मध्य प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई की और भोपाल में संचालित एक क्लीनिक की जांच की गई।
फर्जी डॉक्टर की पहचान कैसे हुई? यह आरोप लगाया गया कि कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एन जॉन केम फर्जी डॉक्टर हैं। इसके बाद, कलेक्टर द्वारा गठित जांच समिति ने पाया कि डॉ. केम के दस्तावेजों में कुछ गड़बड़ी थी। मध्य प्रदेश में चिकित्सा प्रैक्टिस करने के लिए डॉक्टर का राज्य स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी था, लेकिन डॉ. केम का राज्य में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था। उनके पास जो दस्तावेज थे, उनमें आंध्र प्रदेश का रजिस्ट्रेशन था, लेकिन वहां के मेडिकल बोर्ड में भी उनका रजिस्ट्रेशन नहीं पाया गया। इसके बाद यह खुलासा हुआ कि डॉ. केम फर्जी तरीके से काम कर रहे थे और इसी दौरान उन्होंने कई हार्ट ऑपरेशन किए।
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.के. जैन ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि डॉ. केम, जो खुद को प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट बता रहा था, असल में एक फर्जी डॉक्टर है। पुलिस ने धोखाधड़ी और दस्तावेजों की कूटरचना के आरोप में मामला दर्ज किया।