आमतौर पर देखा जाता है कि डेंगू के ज्यादातर मामले अक्टूबर और नवंबर महीने में आते हैं, इस बार डेंगू के वेरियंट डेंगू-2 के भी मामले सामने आए हैं, जिसमें मरीज ज्यादा गंभीर रूप से बीमार हो जाता है। बता दें अक्टूबर और नवंबर का महीना डेंगू का पीक सीजन होता है जिसमें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। डेंगू वायरस चार प्रकार के होते हैं, जिनमें डेंगू-1, डेंगू-2, डेंगू-3 और डेंगू-4 शामिल हैं। इनमें से कुछ वैरिएंट हल्के लक्षण पैदा करते हैं, लेकिन कुछ वायरस जैसे डेन-2 गंभीर बीमारी का कारण बनते हैं।
साथ ही मरीज का रक्तचाप तेजी से गिरता है, शॉक सिंड्रोम होता है और रक्तस्राव भी हो सकता है। इस बार कुछ मामलों में डेन-2 के मामले देखने को मिले, एलएनजेपी में अब तक कई मरीज भर्ती हो चुके हैं लेकिन उनमें से 99% ठीक हो रहे हैं. डेंगू से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग खुद से दवा न लें, बुखार होने पर केवल पैरासिटामोल लें, मच्छरदानी का उपयोग करें और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
वहीं, अगर शरीर में लाल धब्बे दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं, अगर आपको बहुत ज्यादा थकान महसूस हो तो भी तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और अपने प्लेटलेट्स की जांच कराएं। कई बार देखा जाता है कि प्लेटलेट्स बहुत कम होने पर मरीजों में शॉक सिंड्रोम हो जाता है। इसके बाद डेंगू रक्तस्रावी बुखार आता है जो न केवल महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है बल्कि हृदय विफलता, गुर्दे की विफलता और मस्तिष्क की विफलता का कारण भी बनता है।