
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की है, जिसमें कई अहम जानकारियाँ सामने आई हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने जानबूझकर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 अप्रैल को जंगीपुर इलाके में लगभग 8 से 10 हजार की भीड़ जमा हुई और उस दौरान पुलिस पर हमला किया गया। पुलिसकर्मी की लोडेड पिस्तौल तक छीन ली गई। इसके बाद 11 अप्रैल को रघुनाथगंज और शमशेरगंज में भी करीब 5-5 हजार की भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया। 12 अप्रैल को स्थिति और बिगड़ गई जब उपद्रवियों ने सुनियोजित तरीके से हिंदू घरों पर हमले किए।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा से प्रभावित और विस्थापित लोगों की पहचान तथा उनके पुनर्वास के लिए तीन सदस्यीय समिति के गठन का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का 12 अप्रैल का अंतरिम आदेश यथावत रहेगा।
नई गठित समिति में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (WBHRC) और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) के एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। समिति को हिंसा पीड़ितों की पहचान, उनके नुकसान का आंकलन, प्राथमिकी दर्ज करने में सहायता, तथा विस्थापितों के कल्याण की निगरानी का कार्य सौंपा गया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य प्रशासन इस समिति को आवश्यक संसाधन और सहयोग प्रदान करे। समिति और राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी को 15 मई तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की एक टीम भी मालदा जिले पहुंची है, जहां मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित कई लोग शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए यह कदम उठाया है और तीन सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों के अनुसार, हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग जान बचाकर मालदा जिले में पहुंचे हैं। हिंसा का कारण केंद्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में किए गए हालिया संशोधन को लेकर फैला आक्रोश बताया जा रहा है।