सभी पूर्णिमा तिथियों में शरद पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष में केवल एक ही दिन ऐसा होता है जब चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। ऐसा माना जाता है कि सोलह कलाओं के मेल से एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण होता है। भगवान श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का पूर्ण अवतार माना जाता है। ऐसे में इस दिन चंद्रदेव की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कई स्थानों पर शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा 2023 कब है
पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को सुबह 04:17 बजे शुरू होगी और 29 अक्टूबर को 01:53 बजे समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को उदया तिथि में मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों खाया जाता है
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा से निकलने वाली किरणें अमृत के समान मानी जाती हैं। यही कारण है कि इस दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है, ताकि चंद्रमा की किरणें उस पर पड़ें और अमृत का प्रभाव हो सके। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने और उसका सेवन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।