
वक्फ संशोधन कानून को लेकर देश में सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां मुस्लिम संगठन इस कानून के विरोध में सड़कों पर हैं, वहीं बीजेपी इसे मुस्लिम समाज के हित में बताकर उनके बीच जागरूकता फैलाने की कोशिश में जुटी है। एक ओर मुस्लिम संगठन कानून को मुस्लिम हितों के खिलाफ बता रहे हैं, तो दूसरी ओर बीजेपी इसे समाज के वंचित तबकों को न्याय दिलाने वाला बता रही है। इसी कड़ी में बीजेपी ने ‘वक्फ जागरण अभियान’ की शुरुआत की है।
बीजेपी का ‘वक्फ जागरण अभियान’
बीजेपी ने देशभर में अपने मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इसमें बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। इस वर्कशॉप में नेताओं को बताया गया कि उन्हें मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर वक्फ कानून की सच्चाई बतानी है और फैलाए जा रहे भ्रम का जवाब देना है। बीजेपी का मानना है कि यह कानून पारदर्शिता लाने और सभी मुसलमानों को वक्फ संपत्ति का लाभ देने की दिशा में एक अहम कदम है।
बीजेपी के नेताओं ने कहा कि यह कानून विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं और पसमांदा समुदाय के हित में है, जिन्हें पहले वक्फ संपत्ति का लाभ नहीं मिल पाता था। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि नए कानून से पुरानी वक्फ संपत्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही उनके दस्तावेज मांगे जाएंगे।
मुस्लिम संगठनों का विरोध
वहीं दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे संगठन इस कानून को मुस्लिम समाज के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है और शरियत कानून में दखल दे रही है। इस वजह से विभिन्न राज्यों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं।
सहयोगी दलों की चिंता और राजनीतिक रणनीति
बीजेपी को इस कानून से सीधे नुकसान की आशंका नहीं है, लेकिन इसके सहयोगी दलों के मुस्लिम नेताओं में नाराज़गी देखी जा रही है। जेडीयू, एलजेपी और आरएलडी जैसे दलों से मुस्लिम नेताओं का समर्थन कम हो रहा है। इसीलिए बीजेपी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि मुस्लिम वोट बैंक में भ्रम की स्थिति न बने और उसे अपने पक्ष में किया जा सके।
शाहीन बाग जैसे आंदोलन से बचने की रणनीति
बीजेपी इस बार ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहती कि सीएए और एनआरसी की तरह एक बड़ा जनांदोलन खड़ा हो जाए। उस वक्त शाहीन बाग आंदोलन ने देशभर में माहौल गर्म कर दिया था। अब वक्फ कानून को लेकर ऐसा ही विरोध फिर न हो, इसलिए बीजेपी पहले से ही मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर कानून की व्याख्या करने में जुट गई है।
पीएम मोदी की सऊदी यात्रा का असर
अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब दौरे पर जा रहे हैं, जो दोनों देशों के रिश्तों के लिहाज से काफी अहम है। भारत में किसी तरह का मुस्लिम विरोध प्रदर्शन इस यात्रा की छवि को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सरकार चाहती है कि देश में मुस्लिम समुदाय के भीतर विरोध की आग न भड़के और इस अभियान के ज़रिए स्थिति को काबू में रखा जा सके।
चुनावी समीकरण और वक्फ कानून
2025 के अंत में बिहार और 2026 में पश्चिम बंगाल, केरल और असम जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका में है। बीजेपी इन राज्यों में खासकर पसमांदा मुसलमानों और मुस्लिम महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। वक्फ कानून को इन्हीं वर्गों के हित में बताकर बीजेपी उनके बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
वक्फ कानून अब महज एक कानूनी मसला नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जहां एक ओर मुस्लिम संगठन इसे धर्म और अधिकारों पर हमला मान रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे सामाजिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक कदम बता रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर सियासी लड़ाई किस करवट बैठती है।