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Mirzapur : विंध्याचल में रावण को जलाया नहीं बल्कि लूट लिया जाता

मिर्जापुर : विजया दशमी पर शिव भक्त दशानन रावण का पुतला दहन विंध्याचल में नहीं किया जाता, बल्कि उसके पुतले को जनता लूट कर उसका अंश अपने घर ले जाती है । मान्यता है कि रावण के पुतले का अंश घर में रखने पर खटमल और दरिद्रता का वास नहीं होता । दुष्ट आत्माओं से भी निजात मिलती हैं। बंगाली तिराहा पर रावण सजाया जाता है । राम दरबार भी लगता है । राम रावण युद्ध होता है। भगवान राम का बाण लगने पर रावण को जनता लूट कर अपने घर ले जाती है । वर्षो से चली आ रही यह परम्परा आज भी कायम है । एक रिपोर्ट

विंध्य क्षेत्र में सदियों से शिव भक्त को जलाने के बजाय उसके पुतले को छीनकर ले जाने की चली आ रही परम्परा आज भी कायम है ।माता विंध्यवासिनी धाम से चंद कदम दूर बंगाली तिराहा स्टेशन मार्ग पर भव्य राम दरबार लगाया जाता है। भक्तों ने राम दरबार में विराजमान मर्यादा पुरुषोत्तम राम, लक्ष्मण, सीता, भरत शत्रुधन एवं हनुमान का दर्शन किया । दशहरा पर सजे दरबार में रावण का पुतला लाया गया । जय श्रीराम और हर हर महादेव का जयघोष के बीच श्रीराम और रावण का युद्ध हुआ। इसके बाद आम जनता ने रावण के पुतले पर धावा बोल दिया । रावण के पुतले का अंश छीनने की लोगों में होड़ मची रही । जिसे जितना मिला वही युद्ध के मैदान से उतना अंश लेकर भाग निकला।

बबलू बाबा ने बताया कि सदियों से चली आ रही परम्परा विंध्य क्षेत्र में आज भी कायम हैं। महाज्ञानी, बलशाली एवं अकूत संपदा का स्वामी जिसकी नगरी सोने की थी। लेकिन अहंकार के चलते उसे भगवान श्रीराम से युद्ध कर अपनी जान गंवानी पड़ी। विंध्य क्षेत्र में जलाने के बजाय लूटने की परम्परा सदियों से चली आ रही है । मान्यता है कि पुतले में लगा बांस घर में रखने से खटमल और दुष्ट आत्माओं से मुक्ति मिलती हैं। घर में दरिद्रता का वास नहीं होता ।

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