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लोकसभा से पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, अब राज्यसभा में कठिन परीक्षा

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक-2025 पारित कर दिया गया है। इससे पहले, व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों पर ध्वनिमत से मतदान किया गया, लेकिन विपक्षी नेताओं के सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया। अंततः, संशोधित वक्फ विधेयक के समर्थन में 288 मत पड़े, जबकि विरोध में 232 सांसदों ने मतदान किया। अब यह बिल गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

इससे पहले, इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विस्तार से चर्चा और विचार-विमर्श के बाद लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। सदन में इस पर लंबी बहस और हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताया, वहीं एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध स्वरूप सदन में बिल की प्रति फाड़ दी।

सरकार का पक्ष

लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि यह कानून किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि गरीब मुस्लिमों के हितों की रक्षा के लिए लाया गया है। उन्होंने विपक्ष पर बेवजह तर्कहीन मुद्दे उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि यह बिल असंवैधानिक होता, तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जाती। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में सुधार, पारदर्शिता और सुगमता लाना है।

गृह मंत्री अमित शाह ने भी विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक किसी वोट बैंक के लिए नहीं, बल्कि न्याय और कल्याण के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा कि संसद में पारित कानून सभी को मानना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों का सत्यापन कलेक्टर द्वारा किया जाना आवश्यक है और इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। अमित शाह ने आश्वासन दिया कि वक्फ संपत्तियों की धार्मिक गतिविधियों में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा और उनकी व्यवस्था उसी प्रकार बनी रहेगी।

विपक्ष का रुख

समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने इस विधेयक को सरकार की विफलताओं को छिपाने का प्रयास बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के असली मुद्दों को दरकिनार कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जा एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन सरकार उस पर ध्यान देने के बजाय इस तरह के कानून लेकर आ रही है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए इसे अल्पसंख्यकों पर बड़ा हमला बताया। उन्होंने दावा किया कि इस कानून के जरिए मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है और इसी विरोध में उन्होंने सदन में इसकी प्रति फाड़ दी।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने भी इस विधेयक को संविधान के विरुद्ध करार दिया। उन्होंने सरकार पर धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड को कमजोर करने की मंशा से लाया गया है।

जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि वक्फ द्वारा संविधान का उल्लंघन किया गया है, इसलिए इस पर चर्चा कर इसे पारित किया गया। उन्होंने दावा किया कि जेपीसी में विपक्ष को भी अपने विचार रखने का अवसर दिया गया था और सभी सुझावों पर विचार किया गया।

बीजेपी का रुख

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति का अंत करेगा। उन्होंने वक्फ बोर्ड को भ्रष्टाचार का अड्डा बताते हुए कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने इसे अपने वोट बैंक के लिए एटीएम की तरह इस्तेमाल किया है।अब यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां इस पर आगे चर्चा होगी और अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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