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दिल्ली: गर्मी के कारण बिजली की खपत में भारी उछाल, 9000 मेगावाट से ज्यादा हो सकती है मांग

    दिल्ली में मौसम में बदलाव आ रहा है और तापमान लगातार बढ़ रहा है। मार्च के महीने में ही दिन में तेज धूप पड़ने लगी है, जिसके कारण लोगों को पहले से ही परेशानी होने लगी है। बढ़ते तापमान के साथ-साथ दिल्ली में बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इस बार गर्मियों में बिजली की मांग में भारी वृद्धि होने का अनुमान है। केवल बीआरपीएल (BRPL) क्षेत्र में ही बिजली की मांग 4000 मेगावॉट से अधिक हो सकती है, जबकि बीवाईपीएल (BYPL) क्षेत्र में यह मांग 1900 मेगावॉट तक पहुंच सकती है।

    बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए BSES पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने बिजली की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है, ताकि आने वाली गर्मियों में दक्षिण, पश्चिम, मध्य और पूर्वी दिल्ली के लगभग 2 करोड़ निवासियों को बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। उपभोक्ताओं को विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए BSES आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का भी उपयोग कर रहा है।

    इस बार गर्मियों में बिजली की खपत के सभी पिछले रिकॉर्ड टूटने की संभावना है। राजधानी दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 9000 मेगावॉट तक पहुंचने का अनुमान है। पिछले साल दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड 8656 मेगावॉट तक पहुंच गई थी, जो उससे पहले के सभी अनुमानों से कहीं अधिक थी। इससे पहले दिल्ली में बिजली की पीक डिमांड कभी भी 8000 मेगावॉट से अधिक नहीं हुई थी। बीआरपीएल क्षेत्र में पिछले साल बिजली की पीक डिमांड 3809 मेगावॉट थी, जबकि 2023 में यह 3250 मेगावॉट थी। इस साल 2025 की गर्मियों में बीआरपीएल में बिजली की मांग 4050 मेगावॉट तक पहुंचने की संभावना है। वहीं, बीवाईपीएल क्षेत्र में पिछले साल बिजली की पीक डिमांड 1882 मेगावॉट थी, जबकि 2023 में यह 1670 मेगावॉट थी। इस साल बीवाईपीएल में बिजली की मांग 1900 मेगावॉट तक पहुंच सकती है।

    BSES ने बिजली की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है। उन्होंने लंबी अवधि के समझौतों के तहत बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की है। पारंपरिक पावर प्लांट्स से मिलने वाली बिजली के अलावा, BSES को लगभग 2100 मेगावॉट अक्षय ऊर्जा प्राप्त होगी। इसमें सौर ऊर्जा से 888 मेगावॉट, हाइड्रो प्लांट से 546 मेगावॉट, विंड पावर से 500 मेगावॉट और कचरे से बनने वाली बिजली से 40 मेगावॉट शामिल है। इसके अलावा, BSES क्षेत्र में उपभोक्ताओं के घरों की छतों पर लगे रूफटॉप सोलर पैनलों से 197 मेगावॉट बिजली मिलेगी। पावर बैंकिंग के माध्यम से भी BSES को 500 मेगावॉट तक बिजली प्राप्त होगी।

    बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगाने के लिए BSES नई तकनीकों का उपयोग कर रहा है। इसमें लोड फोरकास्टिंग सिस्टम, मॉडलिंग तकनीक और मौसम पूर्वानुमान तकनीक शामिल हैं। तापमान, बारिश, बादल, हवा की गति और दिशा, तथा उमस जैसे कारकों का बिजली की मांग पर सीधा प्रभाव पड़ता है। BSES एडवांस्ड स्टैटिस्टिकल फोरकास्टिंग मॉडल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और IMD-पॉस्को द्वारा प्रदान की गई विशेषज्ञता का उपयोग कर रहा है। इन तकनीकों की मदद से BSES तीन स्तरों पर बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगा सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होती है।

    दिल्ली में बिजली की मांग पर मौसम का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, बिजली की मांग का अनुमान लगाते समय मौसम पूर्वानुमान तकनीक का भी उपयोग किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि आने वाले दिनों में मौसम कैसा रहेगा, क्या बारिश होगी, तापमान कैसा रहेगा, हवा की गति और दिशा क्या होगी, आदि। इन सभी कारकों का बिजली की मांग पर सीधा असर पड़ता है। BSES आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगाता है, जिससे उपभोक्ताओं को बिना किसी रुकावट के बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।

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