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दिल्ली में प्रदूषण में हर साल बढ़ोतरी क्यों होती है? CAG रिपोर्ट से हुआ खुलासा, कार ड्राइवरों को रहें सतर्क

दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है, और हाल ही में भाजपा सरकार के आने के बाद इस पर गहरी चिंता जताई गई है। इस मुद्दे पर विधानसभा में भी विस्तृत चर्चा हुई। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण की प्रमुख वजह प्रदूषण नियंत्रण तंत्र की खामियां हैं। इनमें वाहनों के पीयूसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताएं, वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली का कमजोर होना, और प्रदूषण नियंत्रण उपायों की असफल क्रियान्वयन प्रमुख हैं। यह बात सीएजी की रिपोर्ट में मंगलवार को विधानसभा में पेश की गई।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यह रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की, जिसमें दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ने के प्रमुख कारणों के रूप में नीति की कमजोरियां, कार्यान्वयन की कमजोरी और एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी को उजागर किया गया है।

जल्दीबाजी में जारी किए गए पीयूसी प्रमाणपत्र रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 1.08 लाख से अधिक वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाणपत्र जारी किए गए, जबकि वे निर्धारित सीमा से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और हाइड्रोकार्बन (HC) उत्सर्जित कर रहे थे। सीएजी की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि कई मामलों में एक ही समय पर कई वाहनों को प्रमाणपत्र दिए गए, कभी-कभी तो कुछ मिनटों के अंतराल में। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे वाहन शामिल थे जो सड़कों पर चल रहे थे।

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 2015 से 2020 के बीच लगभग 4,000 डीजल वाहनों को प्रदूषण मानक को पार करने के बावजूद अनुपालन प्रमाणपत्र दिए गए थे, जिससे उन्हें अपने उच्च उत्सर्जन स्तरों के साथ सड़कों पर बने रहने की अनुमति मिल गई।

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