
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक को बुधवार को लोकसभा में विचार-विमर्श और पारित कराने के लिए पेश किया जाएगा। इस दौरान सदन में जोरदार हंगामा होने की संभावना है, क्योंकि विपक्षी दल इसका पूरी ताकत से विरोध कर रहे हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा तय की गई है, हालांकि आवश्यक होने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे अहम सवाल यह है कि इस बिल को समर्थन और विरोध करने वाले सांसदों की संख्या कितनी है। आइए, इसे आंकड़ों के जरिए समझते हैं।
विधेयक के समर्थन में कौन-कौन हैं?
लोकसभा में कुल 542 सांसद हैं, जिनमें एनडीए के 293 सांसद शामिल हैं। भाजपा ने कई मौकों पर निर्दलीय सांसदों का समर्थन भी हासिल किया है। सूत्रों के मुताबिक, टीडीपी, जेडीयू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) जैसे प्रमुख सहयोगी दलों ने शुरू में इस विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी, लेकिन संसद की संयुक्त समिति द्वारा उनकी कुछ सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद अब वे इसके समर्थन में आ सकते हैं।
इस प्रकार, सरकार के पास कुल 293 सांसदों का समर्थन है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 272 का है। सहयोगी दलों की सहमति के साथ, यह तय माना जा रहा है कि सरकार को विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
विधेयक के विरोध में कौन-कौन हैं?
विपक्षी दल इस बिल को असंवैधानिक और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताकर इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। कुछ मुस्लिम संगठन भी इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हो गए हैं।
विपक्ष की ओर से 236 सांसद इस विधेयक के खिलाफ खड़े हैं। तृणमूल कांग्रेस के पहले 29 सांसद थे, लेकिन एक सांसद के निधन के कारण यह संख्या अब 28 रह गई है। इसके अलावा, वाईएसआर कांग्रेस के 4 और 7 निर्दलीय सांसदों ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है।
राज्यसभा में समीकरण क्या हैं?
राज्यसभा में कुल 236 सांसद हैं और बहुमत के लिए 119 वोटों की जरूरत है।
समर्थन में:
- भाजपा के 98 सांसद
- सहयोगी दलों के 19 सांसद
- 6 मनोनीत सदस्य
- 2 निर्दलीय सांसद
इस तरह, कुल मिलाकर 125 सांसद विधेयक के समर्थन में हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 6 अधिक हैं।
विरोध में:
- कांग्रेस के 27 सांसद
- अन्य दलों के 60 सांसद
- 1 निर्दलीय सांसद
विरोध करने वाले कुल 88 सांसद हैं।
इसके अलावा, वाईएसआर कांग्रेस के 7, बीजेडी के 9 और अन्य 9 सांसदों ने अभी तक अपना पक्ष नहीं साफ किया है।
लोकसभा में सरकार को पर्याप्त समर्थन मिल चुका है, जिससे विधेयक के पारित होने की संभावना मजबूत दिख रही है। राज्यसभा में भी सरकार के पक्ष में संख्याबल मजबूत नजर आ रहा है, लेकिन कुछ दलों और निर्दलीय सांसदों का अंतिम फैसला अब भी महत्वपूर्ण रहेगा।