
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने पुराने आदेश की अवधि बढ़ा दी, जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में अधीनस्थ अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दी गई थी। विवेक तन्खा ने आरोप लगाया है कि शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी. डी. शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने उनके खिलाफ ‘‘झूठा, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक’’ प्रचार अभियान चलाया और मध्य प्रदेश में 2021 के पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण के विरोध का आरोप लगाया।
मामला क्या है?
कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने आरोप लगाया था कि 2021 में मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले भाजपा नेताओं द्वारा मानहानिकारक बयान दिए गए थे। उनका कहना है कि 17 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भाजपा नेताओं ने उन पर OBC आरक्षण का विरोध करने का झूठा आरोप लगाया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। उन्होंने अपनी शिकायत में 10 करोड़ रुपये के हर्जाने और भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्रवाई शुरू करने की मांग की है।
भाजपा नेताओं ने हाईकोर्ट में दलील दी कि समाचार पत्रों की कटिंग को आधार बनाकर मानहानि की शिकायत नहीं की जा सकती और अधीनस्थ अदालत को इस पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है।
विशेष अदालत का आदेश
20 जनवरी 2024 को जबलपुर की एक विशेष अदालत ने शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ IPC की धारा 500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज किया और उन्हें अदालत में पेश होने के लिए कहा।
अब 26 मार्च को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने भाजपा नेताओं की याचिका पर सुनवाई 26 मार्च तक टाल दी। सुप्रीम कोर्ट मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 25 अक्टूबर 2023 के आदेश के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मानहानि मामले को खारिज करने से इनकार कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम राहत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट पर रोक लगा दी थी और तन्खा से जवाब मांगा था। शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पैरवी की, जबकि विवेक तन्खा की ओर से कपिल सिब्बल और सुमीर सोढ़ी ने दलीलें दीं।
संविधान का हवाला देकर भाजपा नेताओं का बचाव
जेठमलानी ने कहा कि विवेक तन्खा की शिकायत में जिन बयानों का जिक्र किया गया है, वे सदन में दिए गए बयान थे और ये संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के तहत संरक्षित हैं। इस अनुच्छेद के अनुसार, ‘‘विधानमंडल के किसी भी सदस्य द्वारा सदन में कही गई बातों के लिए उन पर किसी अदालत में मुकदमा नहीं चल सकता।’’
हाईकोर्ट ने मानहानि मामला खारिज करने से इनकार किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 25 अक्टूबर 2023 को तन्खा की याचिका स्वीकार करते हुए मानहानि का मामला खारिज करने से इनकार कर दिया था।
अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को करेगा, जिसमें यह तय होगा कि शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं को इस मामले में राहत मिलेगी या नहीं।