Posted By : Admin

क्या आतिशी ने कालकाजी से बेईमानी से चुनाव जीता? दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की नेता और पूर्व मंत्री आतिशी के हालिया विधानसभा चुनाव में जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को नोटिस जारी किया। जस्टिस ज्योति सिंह की अगुवाई में अदालत ने चुनाव आयोग, दिल्ली पुलिस और कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी को भी इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आतिशी ने इसी सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे इस याचिका पर अपना पक्ष रखें। मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।

हालांकि, निर्वाचन आयोग और निर्वाचन अधिकारी के वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि कानूनन उन्हें इस याचिका में पक्ष नहीं बनाया जा सकता। इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि वे अपनी आपत्तियां लिखित रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके साथ ही, अदालत ने निर्वाचन आयोग, निर्वाचन अधिकारी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वे कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के चुनाव से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखें।

क्या है पूरा विवाद?

कालकाजी क्षेत्र के निवासी याचिकाकर्ता कमलजीत सिंह दुग्गल और आयुष राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आतिशी के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने की मांग की है। उनका आरोप है कि चुनाव प्रचार के दौरान आतिशी और उनके मतदान एजेंटों ने भ्रष्ट आचरण किया। इस मामले में अदालत ने 30 जुलाई को अगली सुनवाई तय की है। याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता टी. सिंहदेव के माध्यम से यह याचिका दायर की है।

रिश्वत देकर ‘वोट खरीदने’ का आरोप

आतिशी ने कालकाजी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी को 3,521 मतों से हराया था। इस निर्वाचन क्षेत्र में 5 फरवरी को मतदान हुआ था और 8 फरवरी को परिणाम घोषित किए गए थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मतदान से एक दिन पहले, 4 फरवरी को, आतिशी के कुछ करीबी सहयोगियों को निर्वाचन क्षेत्र में पांच लाख रुपये नकद के साथ पकड़ा गया था। आरोप है कि ये सहयोगी मतदाताओं को रिश्वत देकर आतिशी के पक्ष में वोट दिलाने के लिए काम कर रहे थे और यह सब पूर्व मंत्री के निर्देश पर किया गया था।

आतिशी पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123(1)(A) के तहत रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है, जो चुनावी अनियमितता और भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है। अब इस मामले में हाईकोर्ट ने संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है और सभी चुनावी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।

Share This