
मुंबई इंडियंस के बल्लेबाज तिलक वर्मा लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ खेले गए मैच में रन बनाने के लिए जूझते नज़र आए। जब टीम को तेजी से रन बनाने की जरूरत थी, तब तिलक धीमी बल्लेबाज़ी कर रहे थे। उन्होंने 23 गेंदों में केवल 25 रन बनाए, जिसमें दो चौके शामिल थे। उनकी धीमी पारी से टीम पर दबाव बढ़ गया। इसी वजह से 19वें ओवर में उन्हें रिटायर्ड आउट कर दिया गया और उनकी जगह मिचेल सेंटनर को बल्लेबाज़ी के लिए भेजा गया। हालांकि, इसके बावजूद मुंबई इंडियंस जीत दर्ज नहीं कर सकी।
क्या होता है रिटायर्ड आउट?
क्रिकेट में यदि कोई बल्लेबाज अपनी मर्जी से या टीम प्रबंधन के कहने पर बिना आउट हुए मैदान छोड़ देता है और दोबारा बल्लेबाज़ी करने नहीं आता, तो इसे रिटायर्ड आउट कहा जाता है। ऐसे मामलों में बल्लेबाज को दोबारा बैटिंग करने का मौका तभी मिलता है जब विपक्षी टीम का कप्तान उसे खेलने की अनुमति दे। अगर ऐसी अनुमति नहीं मिलती और पारी समाप्त हो जाती है, तो स्कोरकार्ड में उसके नाम के आगे “रिटायर्ड आउट” लिखा जाता है।
क्या है रिटायर्ड हर्ट?
दूसरी ओर, जब कोई बल्लेबाज चोट, बीमारी या किसी अन्य कारण से खेलने में असमर्थ हो जाता है, तो वह रिटायर्ड हर्ट माना जाता है। इस स्थिति में बल्लेबाज को बिना किसी अनुमति के बाद में दोबारा बल्लेबाज़ी करने का मौका मिलता है, लेकिन वह तभी वापस आ सकता है जब कोई विकेट गिरता है या टीम को उसकी ज़रूरत होती है। ऐसे खिलाड़ी के नाम के आगे स्कोर में “रिटायर्ड – नॉट आउट” लिखा जाता है।
मुख्य अंतर
- रिटायर्ड हर्ट: यह शारीरिक परेशानी के चलते होता है। खिलाड़ी फिर से बिना किसी विशेष अनुमति के बल्लेबाजी कर सकता है।
- रिटायर्ड आउट: यह रणनीतिक कारणों से होता है। खिलाड़ी तब तक दोबारा नहीं खेल सकता जब तक विरोधी कप्तान इजाज़त न दे।
तिलक वर्मा का मामला
तिलक वर्मा को उनकी धीमी बल्लेबाज़ी के चलते जानबूझकर रिटायर्ड आउट किया गया था। चूंकि उन्होंने फिर से बल्लेबाजी की कोशिश नहीं की और पारी समाप्त हो गई, इसलिए वह दोबारा मैदान में नहीं लौट सके।
इस तरह, रिटायर्ड हर्ट और रिटायर्ड आउट दोनों का मकसद अलग होता है और क्रिकेट नियमों में इन दोनों के बीच का अंतर काफी अहम है।