
बच्चों की परवरिश एक बहुत ही संवेदनशील जिम्मेदारी होती है। माता-पिता की थोड़ी सी लापरवाही भी बच्चों के व्यवहार और भविष्य पर गहरा असर डाल सकती है। अक्सर देखा गया है कि कुछ बच्चे धीरे-धीरे अपने माता-पिता से झूठ बोलने लगते हैं। ऐसे में गुस्से में आकर उन्हें डांटना या मारना स्थिति को और भी बिगाड़ सकता है। इसके बजाय, समझदारी और प्यार से काम लेना ज्यादा फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं कि बच्चों को झूठ बोलने से कैसे रोका जा सकता है।
प्यार और धैर्य से बात करें
अगर बच्चा झूठ बोल रहा है, तो सबसे पहले ये समझने की कोशिश करें कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। कई बार बच्चों को डर होता है कि अगर वो सच बताएंगे तो उन्हें डांट पड़ेगी। इसलिए वे झूठ बोलना शुरू कर देते हैं। आपको अपने बच्चे को इस बात का एहसास कराना चाहिए कि वो आपसे किसी भी बात को बिना डर के कह सकता है। कहानियों और उदाहरणों की मदद से आप सच बोलने की अहमियत और झूठ के परिणाम को सरल भाषा में समझा सकते हैं।
खुद बनें एक अच्छा उदाहरण
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने आसपास देखते हैं। अगर आप खुद सच नहीं बोलते और झूठ का सहारा लेते हैं, तो बच्चा भी वही सीखेगा। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता पहले खुद अपने व्यवहार में ईमानदारी लाएं। जब बच्चा देखेगा कि उसके माता-पिता सच्चाई को महत्व देते हैं, तो वह भी सच बोलने की आदत को अपनाएगा।
सच बोलने पर प्रोत्साहित करें
जब बच्चा किसी गलती को स्वीकार करते हुए सच बोलता है, तो उस पर गुस्सा करने की बजाय उसकी सराहना करें। उसे यह महसूस कराएं कि सच बोलना उसकी अच्छी आदतों में से एक है। अगर आप उसकी ईमानदारी की तारीफ करेंगे, तो वह भविष्य में भी आपसे झूठ बोलने से बचेगा और हर बात खुलकर बताएगा।इस तरह से आप प्यार, धैर्य और समझदारी से अपने बच्चे को एक ईमानदार इंसान बनने की दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं।सच बोलने पर प्रोत्साहित करें
जब बच्चा किसी गलती को स्वीकार करते हुए सच बोलता है, तो उस पर गुस्सा करने की बजाय उसकी सराहना करें। उसे यह महसूस कराएं कि सच बोलना उसकी अच्छी आदतों में से एक है। अगर आप उसकी ईमानदारी की तारीफ करेंगे, तो वह भविष्य में भी आपसे झूठ बोलने से बचेगा और हर बात खुलकर बताएगा।