ज्योतिष डेस्क – कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादषी को भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे। इस तरह मांगलिका कार्य शुरू हो जाएंगे। इस दिन कहीं सुबह तो कहीं शाम के समय देवउठान की पूजा की जाती है। गन्नों से मंडप तैयार किया जाता है औऱ सभी मौसमी फल भगवान को अर्पित कर दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। इस दिन सुबह के समय तुलसी जी की भी पूजा की जाती है।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भी करना चाहिए। देवउठनी एकादशी के दिन निर्जल व्रत रखना चाहिए। देवउठनी एकादशी के दिन किसी गरीब और गाय को भोजन अवश्य कराना चाहिए। एकादशी तिथि 24 नवंबर की मध्यरात्रि 02 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी और 26 नवंबर की सुबह 05 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। 26 नवंबर सुबह 10 बजे तक व्रत का पारण कर सकते हैं। इस दिन तुलसी की पूजा करने का भी विधान है। तुलसी की पूजा में तुलसी को सुहागिन महिलाएं सुहाग की चीजें और लाल चुनरी अर्पित करती हैं। कार्तिक मास में तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ किया जाता है। साथ ही देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है।