मानव अस्तित्व का स्वाभाविक अनुभव खुशी और नाराजगी के रूप में प्रकट होता है। क्रोध का मुख्य कारण मनुष्य का असंतोष, अपेक्षा के अनुरूप उपलब्धि न मिलने से असंतोष है। क्रोध अनेक रूपों में प्रकट होता है, जैसे क्रूर, उग्र, धर्मात्मा, साधारण आदि। महाभारत की कहानी के अनुसार, दुशासन ने द्रौपदी के कपड़े खींचे, इससे पांचों पांडवों में गुस्सा पैदा हो गया, अर्जुन ने अपने पिता भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य से कुरुक्षेत्र में युद्ध किया, लेकिन यह एक धर्मयुद्ध था जिसने क्रोध को अपने मन में नहीं आने दिया।
इन उपायों से कर सकते हैं गुस्सा को कंट्रोल
प्रार्थना और ध्यान: ध्यान और प्रार्थना मानसिक शांति और आत्म-नियंत्रण में मदद करते हैं। ध्यान के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शांति और साहस की रक्षा करते हैं जो हमें क्रोध को संभालने में मदद करता है।
सच्ची खुशी अपनाएं: क्रोध पर काबू पाने के लिए हमें वास्तविक खुशी का आनंद लेना चाहिए, जो शुद्ध और स्थायी हो। इसके लिए हम भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन कर सकते हैं जो हमें खुशी के साथ नैतिक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
कर्म योग: कर्म योग में हम शून्यता की भावना के साथ कार्य करते हैं और परिणाम की चिंता नहीं करते हैं, भगवान कृष्ण ने युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को कर्म योग का संदेश दिया था। यह हमें क्रोध के कारण होने वाली अशांति से दूर रखता है।
संयमित जीवन शैली: विशेष रूप से आहार, नींद की अवधि और दिनचर्या में संयम रखकर भी गुस्से को नियंत्रित किया जा सकता है।