
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने फर्जी फार्मेसी रजिस्ट्रेशन रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें हजारों फार्मासिस्टों के अवैध पंजीकरण की बात सामने आई है। यह घोटाला अरविंद केजरीवाल सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था। मामले में अब तक 47 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
कैसे हुआ घोटाला?
जांच के दौरान यह सामने आया कि बिना किसी वैध प्रक्रिया के, VMC नाम की निजी फर्म को ऑनलाइन पंजीकरण का काम सौंप दिया गया। इस फर्म के माध्यम से हजारों फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर अवैध रजिस्ट्रेशन किए गए। घोटाले में दलालों, फार्मेसी कॉलेजों के कर्मचारियों और प्रिंटिंग शॉप मालिकों की मिलीभगत सामने आई है।
मुख्य खुलासे:
- कुल 4,928 फर्जी पंजीकरण हुए, जिनमें से 35 फर्जी फार्मासिस्टों को गिरफ्तार किया गया।
- 21 जुलाई 2020 से VMC फर्म के जरिये ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसे बिना टेंडर के नियुक्त किया गया।
- आवेदकों ने फर्जी प्रमाण पत्र ऑनलाइन अपलोड कर पंजीकरण कराया, और कॉलेज कर्मचारियों ने ईमेल के माध्यम से फर्जी सत्यापन किया।
- पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह ने दलाल संजय के जरिए रिश्वत लेकर पंजीकरण स्वीकृत किए।
- कुछ लोगों ने अलग-अलग दस्तावेजों के साथ कई आवेदन किए, फिर भी बिना किसी जांच के उनके पंजीकरण मंजूर किए गए।
- फर्जी ईमेल आईडी का उपयोग कर प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया गया।
- रजिस्ट्रार पद से हटने के बावजूद, कुलदीप सिंह ने अपने निजी ईमेल से 232 फर्जी पंजीकरण मंजूर किए।
- दिल्ली के शाहबाद निवासी नीरज के कंप्यूटर से बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्र और दस्तावेज बरामद हुए।
- एसीबी ने छापेमारी में फर्जी डिप्लोमा, प्रमाण पत्र, कंप्यूटर और प्रिंटर जब्त किए।
- दिल्ली में कई फार्मासिस्ट और केमिस्ट बिना किसी उचित योग्यता के फर्जी लाइसेंस पर काम कर रहे हैं, जिनमें से कुछ ने तो 10वीं कक्षा भी पास नहीं की।
गिरफ्तार आरोपी:
- कुलदीप सिंह (पूर्व रजिस्ट्रार, दिल्ली फार्मेसी काउंसिल)
- मुकेश कुमार शर्मा (क्लर्क, दिल्ली फार्मेसी काउंसिल)
- संजय कुमार (मुख्य दलाल)
- धर्मेंद्र, अजय सैनी, जय किशोर पोद्दार, नीरज, अजय कुमार (दलाल)
- नीरज (प्रिंटिंग शॉप मालिक)
- गुरुशरण, हरिओम, ज़फर हयात (फार्मेसी कॉलेज कर्मचारी)
- 35 अवैध फार्मासिस्ट/केमिस्ट गिरफ्तार (सूची संलग्न)
सत्येंद्र जैन की भूमिका पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह की नियुक्ति दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के आदेश पर हुई थी। इस मामले में गहन जांच जारी है ताकि अन्य दोषियों की पहचान हो सके। घोटाले से जुड़े सभी फर्जी पंजीकरण रद्द करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की प्रक्रिया चल रही है।