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वक्फ बोर्ड का बड़ा दावा, पूरे गांव के साथ 1500 साल पुराने मंदिर पर भी जताया हक

देशभर में इन दिनों केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर चर्चाएं तेज हैं। बुधवार को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया, जहां इस पर बहस जारी है। सरकार को उम्मीद है कि इसे संसद के दोनों सदनों में आसानी से पारित करा लिया जाएगा। हालांकि, विपक्षी दलों के साथ-साथ AIMPLB और कई मुस्लिम संगठन इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

इस बीच, तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गांव का मामला फिर से चर्चा में आ गया है, जहां वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव की जमीन को अपना बताते हुए उस पर दावा ठोक दिया था।

पूरे गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड का दावा

तिरुचि जिले के तिरुचेंदुरई गांव की लगभग 330 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड ने अपना हक जताया था। इस गांव में एक प्राचीन मणेंडियावल्ली चंद्रशेखर स्वामी मंदिर स्थित है, जिसे आठवीं शताब्दी का बताया जाता है। इस ऐतिहासिक मंदिर की जमीन को भी वक्फ संपत्ति बताकर उस पर दावा किया गया था।

गांववालों को जमीन खरीदने-बेचने में आई दिक्कत

साल 2022 में गांव के किसान राजगोपाल ने अपनी खेती की जमीन बेचने की कोशिश की, ताकि वह अपना कर्ज चुका सकें। लेकिन जब उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि पूरे गांव की जमीन पर वक्फ बोर्ड का अधिकार है। बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति (NOC) के कोई भी जमीन का लेन-देन नहीं हो सकता। यहां तक कि रजिस्ट्रार कार्यालय में इस संबंध में एक नोटिस भी लगाया गया था।

राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद मिली राहत

इस विवाद के बाद जब गांव में हंगामा मचा, तो तमिलनाडु की DMK सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। सरकार ने स्पष्ट किया कि जमीन की रजिस्ट्री के लिए वक्फ बोर्ड से NOC की जरूरत नहीं है। इसके बाद, पिछले तीन सालों में गांव में कई जमीनों की बिक्री हुई।

हालांकि, तमिलनाडु वक्फ बोर्ड अब भी इस दावे पर अड़ा हुआ है कि गांव की जमीन वक्फ की संपत्ति है। लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई आधिकारिक दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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