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ये ‘नदी’ कर रही है श्रमिकों का कल्याण

लखनऊ – मुश्किल हालातो में हौसला इतनी ताकत भर देता है कि इंसान बड़े से बड़ा काम कर लेता है ऐसा ही काम बाराबंकी के लोग कर रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान कई लोगों की नौकरियां चली गयी थी, जिसमे गरीब तबका और श्रमिक ज्यादा हैं जिसे दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। पर इन सबकी समस्या का समाधान करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले पर उचित निर्णय करके मनरेगा तहत काम को कराने विचार किया और उसके तहत लोगो को रोजगार दिया गया।

यूपी के बाराबंकी में दशकों से सूख गई कल्याणी नदी के जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ है और उसे मनरेगा के माध्यम से सरकार करा रही है। बाराबंकी में आये प्रवासी मजदूर विलुप्त हो गयी कल्याणी नदी के खेवनहार बन गए है । सीतापुर से कभी कल्याणी नदी का उद्गगम होता था, लेकिन बीसियों साल से नदी गर्मियों में सुख जाती है और बारिश में बाढ़ से नुकसान करती थी जिससे 170 किमी लंबी नदी के आसपास के गावो में बहुत दिक्क्क्त होती थी। लेकिन तालाबंदी में आये प्रवासी मजदूरो ने बाराबंकी की कल्याणी नदी को दोबारा इतिहास से निकालकर वर्तमान में पिरोना शुरू कर दिया है।

कल्याणी नदी के काम ने लगभग 200 मजदूरो को मनरेगा के जरिये खुद की रोजी रोटी का इंतजाम तो किया है तो वहीं किसानों को भी राहत दी है..।

मनरेगा के तहत बाराबंकी में काम मिलने की बात करें तो कुल 67000 से करीब लोग हैं जिन्हें मनरेगा में काम मिला है और उसमे 5000 के करीब प्रवासी श्रमिक हैं जो इसका लाभ पा रहे हैं। जो श्रमिक लॉकडाउन के दौरान अलग अलग जगहों पर फंस गए थे अब अपने घर आकर और मनरेगा में काम पाकर काफी खुश हैं और सरकार का शुक्रिया अदा कर रहे हैं।

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